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अंग्रेजों का बंगाल पर अधिकार


अंग्रेजों ने भारत में सबसे पहले राजनीतिक सत्ता बंगाल में  प्राप्त की । यह सत्ता उन्होंने सबसे पहले प्लासी के युद्ध और फिर बक्सर के युद्ध द्वारा प्राप्त हुयी । 
जब अंग्रेज़ भारत में उस समय बंगाल के अंतर्गत पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा बांग्लादेश आते थे । बंगाल उस समय भारत का समृद्ध प्रदेश था । सन 1701 में ईस्वी में औरंगजेब द्वारा मुर्शिद कुली खां को बंगाल का सूबेदार बनाया गया। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गई, जिसके बाद मुगल शासन कमजोर पड़ गया। इसका लाभ उठा कर मुर्शिद कुली खान ने 1717 में बंगाल को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया।इसके समय में ही राजधानी ढाका से परिवर्तित कर मुर्शिदाबाद स्थापित की। 



Note: बंगाल के शासकों का क्रम : मुर्शिद कुली खां, शुजाउद्दीन, सरफराज, अलीवर्दी खां । (Trick- मुर्शीद की सूजी सर ने आलीवर्दी को दी) 

मुर्शिद कुली खान ने इजारेदारी प्रथा आरंभ की तथा किसानों को खेती के लिए अग्रिम ऋण (तकाबी ऋण) प्रदान किया । 

नोट : इजारेदारी प्रथा असल में जमींदारी प्रथा का ही एक प्रकार था,  जिसमें किसानों से भू राजस्व की वसूली सीधे सुल्तान द्वारा नहीं की जाती थी, अपितु इसके लिए बिचौलिये (मध्यस्त) की नियुक्ति की जाती थी। 

1793 में  कार्नवालिस द्वारा स्थाई बंदोबस्ती के अंतर्गत जिन व्यक्तियों जमींदारों को भूमि का स्वामी माना गया वह व्यक्ति मुर्शिद कुली खां द्वारा नियुक्त किए गए जमींदार ही थे। 

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 मुर्शिद कुली खां की मृत्यु 1727 में हुई। जिसके बाद शासन शुजाउद्दीन ने 1727 में संभाला जो कि 1739 ईस्वी तक गद्दी पर रहा। कुछ समय के लिए सरफराज (1739 - 1740) गद्दी पर बैठा, परंतु अलीवर्दी खाने 1740 ईस्वी में उसको गद्दी से हटाकर स्वयं बैठा। अलीवर्दी खान ने अपने शासनकाल में मुगलों को राजस्व देना बंद कर दिया और बंगाल अत्यधिक समृद्ध बनने लगा। अलीवर्दी खां अंतिम सशक्त शासक था, जिसने अंग्रेजो तथा फ्रांसीसियों पर नियंत्रण बना के रखा। अलीवर्दी खां की मृत्यु 1756 में हुयी। अलीवर्दी खां का उत्तराधिकारी इसका नाती सिराजुद्दोला हुआ। यह अप्रैल 1756 में शासक बना। 

इसी के समय में कालकोठरी त्रासदी (20 जून 1756)  प्लासी का युद्ध (23 जून 1757) हुआ। प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला के मृत्यु हो गई। 

सिराजुद्दौला 1756 में अलीवर्दी खां के बाद बंगाल का नवाब बना। सिराजुद्दौला के नवाब बनाने पर उसका विरोध किया गया। 
विरोध तीन प्रमुख व्यक्ति 
1> उसकी मौसी घसीटी बेगम
2> पूर्णिया के सूबेदार उसके चचेरे भाई शौकत जंग, 
3> और नवाब के दरबार में मीर जाफर एवं कुछ अन्य लोगों थे। 

1756 में सिराजुद्दौला के काल में अंग्रेजों आत्यधिक मनमानी करने लगे थे। उनके द्वारा दस्तक का अत्यधिक दुरपयोग होने लगा था। इसलिए उसने अंग्रेजों को सबक सीखना चाहा। और 20 जून 1756 कोलकाता पर आक्रमण कर उनके किले  फोर्ट विलियम पर अधिकार कर लिया । 
उसके बाद पूर्णिया के विरुद्ध अभियान चलाया। और शौकत जंग को पराजित कर के मार डाला। 
जब अंग्रेजों को इस बात की खबर लगी तो मद्रास से एडमिरल वाटसन और रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेज़ सैना बंगाल की ओर भेजी गई। 1757 में अंग्रेजों ने फिर से कोलकाता पर अधिकार कर लिया और मार्च 1757 में फ़्रांसीसियों की  चंद्रनगर बस्ती  पर भी अधिकार कर लिया।  अंग्रेजों से घबराकर सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों से अलीनगर की संधि कर ली।  परंतु उसके बाद एक षड्यंत्र को जन्म दिया और षड्यंत्र के तहत प्लासी के युद्ध का जन्म हुआ। 
प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला मारा गया। और अंग्रेजों ने मीरजाफ़र को नवाब की गद्दी पर बैठाया। कुछ कारणों से विवाद होने पर 1760 में मीरजफर को हटा कर मीर कासिम को गद्दी पर बैठाया गया।
मीर कासिम एक समझदार शासक था। वह अंग्रेजों की चाल समझता था।  इसलिए उसने अपने शासन के तरीकों में परिवर्तन किया और अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित की। उसने मुक्त व्यापार का विरोध किया और एक निश्चित राशि निर्धारित करनी चाही। परंतु अंग्रेजों ने इसे अपना अपमान समझा और बक्सर का युद्ध हुआ। 
परंतु बक्सर के युद्ध से पूर्व अंग्रेजों ने मीर कासिम को नवाब की गद्दी से हटा कर मीरजाफ़र को 1763 में बंगाल का नवाब बनाया। 
बक्सर के युद्ध में मीर कासिम शुजाउद्दौला और शाह आलम द्वितीय ने मिलकर अंग्रेजों का सामना किया। परंतु वे अंग्रेजों से हार गए। इसके बाद अंग्रेजों ने पुनः मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया। 
सन 1765 में मीर जाफर की मृत्यु हो गई। इस प्रकार अंग्रेजों ने भारत में सबसे पहले बंगाल पर अपना बंगाल पर अपना राजनीतिक अधिकार प्राप्त किया। 

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