भारत में अंग्रेज़ गवर्नर (1757 से 1857)
रॉबर्ट क्लाइव (1757- 60 और 1765- 67 तक)
1757 में जब प्लासी का युद्ध हुआउस समय अंग्रेजों का प्रमुख ड्रेफ था। पर जब 1757 में रॉबर्ट क्लाइव ने प्लासी के युद्ध में विजय प्राप्त की तो उसे बंगाल का गवर्नर बना दिया गया। इसका प्रथम कार्यकाल 1757 से 1760 तक रहा।
इसका दूसरा कार्यकाल 1764 में, बक्सर के युद्ध के बाद आरंभ हुआ। बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का गवर्नर वेन्सीटार्ट था।
राबर्ट क्लाइव ने 1765 में शाह आलम द्वितीय से इलाहाबाद की संधि की तथा बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी प्राप्त की । इसने बंगाल तथा बिहार के लिए उपदीवान नियुक्त किए। बंगाल में मुहम्मद राजा तथा बिहार में राजा शिताब राय।
रॉबर्ट क्लाइव के समय में ही 1765 में बंगाल में द्वैध शासन लागू किया गया जिसको वारेन हेस्टिंग ने 1772 में समाप्त किया।
वारेन हेस्टिंग (1772 से 1774 तक गवर्नर , 1774 से 1785 तक गवर्नर जनरल )
वारेन हेस्टिंग 1750 में कंपनी के कलर्क के रूप में भारत आया। अपने कार्यकुशलता से यह 1772 में गवर्नर बन। यह कंपनी का अंतिम गवर्नर था।
1772 में वारेन हेस्टिंग ने द्वैध शासन को खत्म कर दिया।
1773 में रेगुलेटिंग एक्ट पारित किया गया, तथा गवर्नर पद को निरस्त कर उसके स्थान पर गवर्नर जनरल बनाया गया। 1774 में वारेन हेस्टिंग को पहला गवर्नर जनरल बनाया गया।
इसी के काल में कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई।
(1737 के रेगुलेटिंग एक्ट के तहत प्रस्ताव पारित, 1774 में स्थापना )
इसका सबसे पहलामुख्य न्यायाधीश 'एम्फे' था।
हेस्टिंग का ही भारत में न्यायिक सेवा का जन्मदाता कहा जाता है।
हेस्टिंग द्वारा 1781 में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की। जिसमें फारसी और अरबी की शिक्षा दी जाती थी।
1781 में ' एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल' की स्थापना की गयी। इस सोसायटी ने सर्वप्रथम भगवत गीता का इंग्लिश अनुवाद किया गया (विलियम विलकिंस द्वारा अनुवाद)। दूसरी पुस्तक हितोपदेश थी।
जेम्स ऑगस्ट हिस्की ने इसी के समय में 1780 में भारत के प्रथम समाचार पत्र " द बंगाल गजेट " का प्रकाशन आरंभ किया।
प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775-85) और द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-84) हेस्टिग के समय में ही लड़े गए।
(प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775-85) सलबाई के संधि और द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-84) मंगलोर की संधि से समाप्त हुआ।)
1785 में वापस इंगलेंड लोटने पर बर्क ने हेस्टिंग पर महाभियोग चलाया पर, कुछ साल चले इस मुकदमे में हेस्टिंग को आरोप मुक्त कर दिया गया।
कार्नवालिस (1786-93)
कार्नवालिस ने भारत में सिविल सेवा का आरंभ किया। कार्नवालिस द्वारा ही भारत में पुलिस सेवा भी आरंभ की गई।
(सिविल सेवा परीक्षा के आरंभ इंगलेंड में 1831 में हुआ। जबकि भारत में इसका आरंभ 1923 में हुआ। )
कार्नवालिस के समय में ही तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1790- 92) लड़ा गया जो की श्रीरंगपट्टनम की संधि से समाप्त हुआ।
कार्नवालिस के कल में जिले के सभी अधिकार कलेक्टर को दे दिये गए।
कार्नवालिस द्वारा 1793 में स्थायी बंदो बस्ती को लागू किया, और 1793 में ही कार्नवालिस कोड भी जारी किया गया।जिसके द्वारा कर प्रशासन और न्याय प्रशासन को अलग अलग किया गया।
सत्येंद्र नाथ टैगोरप्रथम भारतीय आई सी एस अधिकारी (सिविल सेवा अधिकारी) थे।
लिटिन ने सिविल सेवा परीक्षा की आयु 23 वर्ष से घाटा कर 19 वर्ष कर दिया था।
जॉन शोर (1793-98)
इसने अहस्तक्षेप की नीति अपनायी।
वेलेजली (1898- 1905)
वेलेजली के समय में चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध (1799)हुआ। जिसमें टीपू सुल्तान मारा गया, और अंग्रेजों ने मैसूर पर अधिकार कर लिया।
वेलेजली ने सहायक संधि लागू की।
सहायक संधि का सबसे पहला प्रयोग फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने किया था।
वेलेजली द्वारा 1800 में सिविल सेवा की शिक्षा के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गई।
हेस्टिंग्स (1813-23)
हेस्टिंग्स ने आंग्ल नेपाल युद्ध (1814-16) लड़ा। जिसका अंत संगोली की संधि के साथ हुआ।
हेस्टिंग्स ने पिंडारियों का दामन किया। इस काम में इनका सहायक टॉमस हिस्लोप था।
इसने
मराठाओं की शक्ति का अंतिम रूप से दमन कर दिया। बाजीराव द्वितीय को गद्दी
से हटा कर कानपुर के समीप बिट्टूर भेज दिया और शिवजी के वंशज प्रताप सिंह
को सतारा की गद्दी पर बैठाया।
हेस्टिंग्स के ही काल में टेनेंसी एक्ट 1822 या कास्तकारी कानून लागू किया गया।
एमहर्स्ट (1823-28)
प्रथम आंग्ल बर्मा युद्ध (1824-26) इसी के समय में लड़ा गया और 1826 में यांदबू की संधि हुई।
1824 का बैरक पुर सैन्य विद्रोह इसी के समय में हुआ।
विलियम बेंटिक (1828 - 1835)
1803 में जब यह मद्रास का गवर्नर था, उस समय इस के आदेश द्वारा सेना में किसी को भी जातीय सूचक चिंन्ह लगाने नहीं दिया गया। जिस कारण वेल्लोर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। यह सबसे पहला सैनिक विद्रोह था।
1833 के चार्टर एक्ट द्वारा इसे भारत का पहला गवर्नर जनरल बनाया गया।
1833 के चार्टर एक्ट द्वारा भारत में पदों पर योग्यता को नियुक्ति का आधार बनाया गया।
राजा राममोहन राय के प्रयत्नों के परिणाम स्वरूप विलियम बेंटिक द्वारा 1829 में धारा 17 द्वारा विद्याओं का सती होने पर रोक लगाई गई।
कर्नल स्लीमन की सहायता से इसने 1830 तक ठगी पाठ का भी अन्त कर दिया।
बेंटिक के ही समय में भारत में शिक्षा का माध्यम और विषय वस्तु क्या हो इस पर सलाह के लिए लोक शिक्षा समिति गठित की गई। परिणाम स्वरूप अँग्रेजी भाषा को उच्च शिक्षा का मद्ध्यम बनाया गया।
चार्ल्स मेटकोफ (1835 -36)
इसे "भारतीय प्रैस का मुक्तिदाता" कहा गया। इसके द्वारा प्रैस से नियंत्रण हटाया गया।
लार्ड ओकलेण्ड (1836 - 42)
इसके समय में प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध लड़ा गया।
इसके द्वारा ग्रांड ट्रंक रोड की दिल्ली से कलकत्ता तक मरम्मत कराई गई।
लार्ड एलिनबरो (1842 - 1844)
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध समाप्त हुआ।
1843 के एक्ट - V से दास प्रथा का अंत किया गया।
लार्ड हार्डिंग (1844 - 1848)
इसके समय में प्रथम आंग्ल सिक्ख युद्ध (1845- 46) हुआ। इसमें अंग्रेजों की विजय हुई।
विलियम बेंटिक (1828 - 1835)
1803 में जब यह मद्रास का गवर्नर था, उस समय इस के आदेश द्वारा सेना में किसी को भी जातीय सूचक चिंन्ह लगाने नहीं दिया गया। जिस कारण वेल्लोर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। यह सबसे पहला सैनिक विद्रोह था।
1833 के चार्टर एक्ट द्वारा इसे भारत का पहला गवर्नर जनरल बनाया गया।
1833 के चार्टर एक्ट द्वारा भारत में पदों पर योग्यता को नियुक्ति का आधार बनाया गया।
राजा राममोहन राय के प्रयत्नों के परिणाम स्वरूप विलियम बेंटिक द्वारा 1829 में धारा 17 द्वारा विद्याओं का सती होने पर रोक लगाई गई।
कर्नल स्लीमन की सहायता से इसने 1830 तक ठगी पाठ का भी अन्त कर दिया।
बेंटिक के ही समय में भारत में शिक्षा का माध्यम और विषय वस्तु क्या हो इस पर सलाह के लिए लोक शिक्षा समिति गठित की गई। परिणाम स्वरूप अँग्रेजी भाषा को उच्च शिक्षा का मद्ध्यम बनाया गया।
चार्ल्स मेटकोफ (1835 -36)
इसे "भारतीय प्रैस का मुक्तिदाता" कहा गया। इसके द्वारा प्रैस से नियंत्रण हटाया गया।
लार्ड ओकलेण्ड (1836 - 42)
इसके समय में प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध लड़ा गया।
इसके द्वारा ग्रांड ट्रंक रोड की दिल्ली से कलकत्ता तक मरम्मत कराई गई।
लार्ड एलिनबरो (1842 - 1844)
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध समाप्त हुआ।
1843 के एक्ट - V से दास प्रथा का अंत किया गया।
लार्ड हार्डिंग (1844 - 1848)
इसके समय में प्रथम आंग्ल सिक्ख युद्ध (1845- 46) हुआ। इसमें अंग्रेजों की विजय हुई।
लार्ड डलहौजी (1848 -1856)
द्वितीय
आंग्ल सिक्ख युद्ध (1848 - 49) इसी के समय में हुआ और पंजाब का अंग्रेज
साम्राज्य में विलय हो गया और कोहिनूर हीरा ब्रिटिश रानी को भेज दिया गया।
लार्ड
डलहौजी द्वारा व्यपगत नीति या राज्य हड़प नीति अपनायी गई, और अनेक राज्यों
को हड़प लिया गया। इसके द्वारा सबसे पहले सतारा (1848) महाराष्ट्र फिर
जैतपुर (1849)बुंदेलखंड , संभलपुर(1849) उड़ीसा, बाघाट (1850) हिमांचल
प्रदेश, उदयपुर (मध्यप्रदेश) 1852, झांसी 1853, नागपुर 1854 का अधिग्रहण
किया गया।
1856 में अउटरम की रिपोर्ट के आधार पर, अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर उसको भी अंग्रेज साम्राज्य में मिला लिया गया। उस समय नवाब वाजिद अली शाह था।
इसके द्वारा तोप मुख्यालय कोलकत्ता से मेरठ स्थानांतरित किया गया (1856)।
सेना का मुख्यालय शिमला में स्थानांतरित किया गया और बाद में ये ग्रीष्मकालीन राजधानी भी बना।
16 अप्रैल 1853 में सबसे पहले मुम्बई से थाणे तक ट्रेन इसी के काल में चली।
इसी वर्ष 1853 में कलकत्ता से बरेली बिजली से संचालित तार सेवा भी आरम्भ की गई।
1854 में दूसरी रेल लाइन, पोस्ट ऑफिस एक्ट और लोक निर्माण विभाग की स्थापना की गई।
1856 में अउटरम की रिपोर्ट के आधार पर, अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर उसको भी अंग्रेज साम्राज्य में मिला लिया गया। उस समय नवाब वाजिद अली शाह था।
इसके द्वारा तोप मुख्यालय कोलकत्ता से मेरठ स्थानांतरित किया गया (1856)।
सेना का मुख्यालय शिमला में स्थानांतरित किया गया और बाद में ये ग्रीष्मकालीन राजधानी भी बना।
16 अप्रैल 1853 में सबसे पहले मुम्बई से थाणे तक ट्रेन इसी के काल में चली।
इसी वर्ष 1853 में कलकत्ता से बरेली बिजली से संचालित तार सेवा भी आरम्भ की गई।
1854 में दूसरी रेल लाइन, पोस्ट ऑफिस एक्ट और लोक निर्माण विभाग की स्थापना की गई।
To be Continue.............
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