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अंग्रेजों के विरुद्ध जनजातीय विद्रोह

अंग्रेजों के विरुद्ध जनजातीय विद्रोह


जैसे जैसे अंग्रेजों का भारत में साम्राज्य फैलता गया। वे धीरे धीरे जनजातीय या आदिवासियों पर भी आफ्ना नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास करने लगे। 
जनजातीय लोग "झूम खेती" पर निर्भर करते थे। जिस पर अंग्रेजों को ऐतराज था। वे जनजाति समाज की खेती को भी व्यावसायिक खेती के अंतर्गत लाकर लगान तथा कर वसूल करने लगे। नयी भूराजस्व व्यवस्था, जबरन वसूली और इनके सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप कर अंग्रेज़ इन का शोषण करने लगे। 

1857 से पूर्व के विद्रोह 

इस प्रकार जनजाति समाज में अंग्रेजों का हस्तक्षेप बढ़ने लगा और दोनों के बीच टकराव होने लगे। 

जनजाति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ठक्कर बाबा ने किया था। इनको आदिवासियों का मसीहा भी कहा जाता  है। 

मुख्य जनजाति विद्रोह 




विद्रोह  स्थान  नेता  कब हुये
संभाल विद्रोह  छोटा नागपुर पठार  सिधू तथा कान्हु 1855-56
मुंडा विद्रोह  छोटा नागपुर पठार  बिरसा मुंडा  1895-1901
कोल विद्रोह  छोटा नागपुर पठार  बुदधो भगत 1831-32
ख़ासी विद्रोह  असम  तितर सिंह
रामोसी विद्रोह  पश्चिमी घाट  चित्तर सिंह 
चुआर विद्रोह  बंगाल  जगन्नाथ
कुकी आंदोलन  मणिपुर































































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