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म्यूच्यूअल फंड्स के प्रकार Types of mutual fund

Types of mutual fund

Types of Mutual Fund

निवेश के साधनों में म्युचुअल फंड से वर्तमान में हर कोई परिचित है। वर्तमान समय  में निवेश के लिए कई प्रकार के म्यूचुअल फंड उपलब्ध हैं। कोई भी निवेशक अपनी निवेश क्षमता के अनुसार तथा जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार, उनमें से किसी को भी चुन सकता है। इस लेख उन म्यूच्यूअल फंड्स की जानकारी दी गई है, जो आज बाजार में उपलब्ध हैं।

म्यूच्यूअल फण्ड को विभिन्न भागों में वर्गीकृत किया गया है -
1. संरचना के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार
2. निवेश उद्देश्य के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार
3. अन्य प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड 


संरचना के आधार पर म्यूचल फंड

ओपन एंडेड फंड (Open-end Fund): इस प्रकार के फंड्स में निवेशक कभी भी निवेश कर सकता है और कभी भी उस से निकल सकता है। ओपन एंडेड फंड निवेशक को तरलता और मैच्योरिटी की फ्लैक्सिबिलिटी देते हैं। म्यूच्यूअल फण्ड की खरीद और बिक्री एन ए वी (नेट एसेट वैल्यू)  के आधार पर होती है। 

क्लोज एंडेड फंड (Close-end Fund): इस प्रकार के फंड एक निश्चित तिथि पर  निवेशक को निवेश करने का मौका देते हैं तथा निवेशक इस प्रकार के फंड में से एक निश्चित तिथि पर ही धन की निकासी कर सकता है। आमतौर पर न्यू फण्ड ऑफर के समय ही इसमें निवेश का मौका मिलता है।  इनकी परिपक्वता समय  3 से 6 साल का हो सकता है। 


निवेश उद्देश्य के आधार पर  म्यूच्यूअल फंड

इनकम फंड (Income Fund) - यह एक विशेष प्रकार का म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual fund) है।  जो पूंजीगत लाभ (Capital gain) के बजाय वर्तमान में प्राप्त होने वाली इनकम पर फोकस होता है। यह इनकम मासिक या त्रैमासिक हो सकती है।  इस प्रकार के म्यूचल फंड आमतौर पर सरकारी, कॉरपोरेट्स डिबेंचर, प्रेफेंटिअल स्टॉक, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। 

ग्रोथ फंड (Groth Fund)- इस प्रकार की स्कीम में निवेश का उद्देश्य कैपिटल की वृद्धि करना होता है। ग्रोथ स्कीम में फण्ड को इक्विटी (Equity) स्टॉक में लगाया जाता है।  छोटे समय के लिए यह फंड सही नहीं माने जाते पर लंबे समय में यह अच्छा रिटर्न देते हैं। 

लिक्विड फंड (Liquid Fund) - छोटे समय के लिए निवेश के उद्देश्य से यह स्कीम अच्छी मानी जाती है। इसमें शॉर्ट टर्म इंस्ट्रूमेंट जैसे ट्रेज़री बिल्स, सीपीएस आदि में निवेश किया जाता है।  इसका मुख्य उद्देश्य लिक्विडिटी उपलब्ध कराना होता है।  इनमें आमतौर पर रिस्क  कम होते है। 

कैपिटल प्रोटक्शन फंड (Capital Protection Fund) - इस प्रकार के फंड कम रिस्की (Risky) माने जाते हैं।  इनका मुख्य उद्देश्य, किए गए निवेश को सुरक्षित रखते हुए, रिटर्न प्राप्त करना होता है। इस प्रकार फंड धन को फिक्स इनकम इंस्ट्रूमेंट और इक्विटी इंस्ट्रूमेंट में लगाया जाता है।  इक्विटी इंस्ट्रूमेंट, जो की अधिक ग्रोथ देते हैं पर रिस्की होते हैं, इनके रिस्क को फिक्स इनकम इंस्ट्रूमेंट से कम किया जाता है। 

फिक्स्ड मेच्योरिटी फंड (Fixed Maturity Fund)- यह वे फंड होते हैं जो मनी मार्केट और डेट मार्केट में निवेश करते हैं। इस फण्ड की विशेषता है की इनकी Maturity डेट निश्चित होती है। 

पेंशन फंड (Pension Fund) - यह हुए फंड है जो Long turm के निवेश के उद्देश्य से बनाए जाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य निवेशक को रिटायरमेंट के बाद या एक निश्चित समय के बाद, एक रेगुलर इनकम उपलब्ध कराना होता है।  यह फंड इक्विटी और डेट मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। 


अन्य म्यूच्यूअल फंड्स 

टैक्स सेविंग फंड (Tax saving Fund) : यह फण्ड निवेशकों को टैक्स में छूट का लाभ प्रदान करत है।  इसमें निवेशत धन को आयकर अधिनियम 1961 के तहत टैक्स में छूट प्राप्त होती है।   इस फंड को इक्विटी स्कीम्स में निवेश किया जाता है।  इस प्रकार के स्कीम्स को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम के नाम से भी जाना जाता है।  इनमें 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है। 

सेक्टर  स्पेसिफिक फंड (Sector Specific Fund): सेक्टर-विशिष्ट फंड एक विशिष्ट उद्योग क्षेत्र, जैसे एफएमसीजी, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, आदि के स्टॉक्स में निवेश करते हैं। इन फंडों पर रिटर्न संबंधित उद्योगों क्षेत्र केइंडेक्स के उतार चढ़ाव पर निर्भर करता है। यह फण्ड अप्रत्यक्ष रूप से सम्बंधित उद्योग क्षेत्र के प्रदर्शन से सीधे जुड़ा होता है।

इंडेक्स फंड (Index Fund) : इंडेक्स फंड बीएसई के सेंसेक्स या एसएंडपी सीएनएक्स के निफ्टी जैसे किसी विशेष इंडेक्स से जुड़े होते हैं। इंडेक्स में होने वाले उतार-चढ़ाव से उनका सीधा सम्बन्ध होता है। इस फण्ड के पोर्टफोलियो में वे स्टॉक शामिल होते हैं जो एक इंडेक्स का प्रतिनिधित्व करते हैं।  

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