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1905 के बंगाल विभाजन ने देश में उग्र विचारधारा को तीव्रता प्रदान की । इस कारण एक ओर देश में जहां गरम पंथी नेताओं ने अपने उग्र विचारों को देश में प्रसारित कर जनता को जगाने का काम किया। वहीं दूसरी ओर अंग्रेजों के विरुद्ध युवा हथियार उठने लगे तथा क्रांतिकारी संगठनों का निर्माण किया। इन संगठनों से क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अनेक घटनाओं को अंजाम दे कर अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया।
भारत में क्रांतिकारियों की प्रेरणा का श्रोत बलगंगाधर तिलक थे। इसके अतिरिक्त रूसी निहिलिस्टों और आयरलेंड के क्रांतिकारी भी इनकी प्रेरणा श्रोत बने। क्रांतिकारी अंग्रेजों के मन में भय पैदा कर उनको देश से भागा देना चाहते थे।
भारत में बंगाल क्रांतिकारी विचारधारा रखने वाले युवाओं का केंद्र था। यूं तो बंगाल में क्रांतिकारी संगठनों का निर्माण 19 वीं सदीं के आखरी तीसरे दशक से आरंभ हो गया था। परंतु के संगठन अधिक सक्रिय नहीं थे।
महाराष्ट्र की क्रांतिकारी घटनाएँ
भारत में क्रांतिकारी घटनाओं का सूत्रपात महा राष्ट्र से हुआ था। महा राष्ट्र में 1879 में वासुदेव बलवंत फडके ने क्रांतिकारी संगठन रामोसी कृषक दल बनाया। जिन्होने अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाए। इन्होने संचार लाइनों को नष्ट किया और संगठन के लिये अंग्रेजों को लूटा। पर यह संगठन अधिक प्रभावी नहीं हो पाया और 1890 में अंग्रेजों ने इनका दमन कर दिया।
1897 में तिलक के विचारों से प्रभावित होकर चापेकर बंधुओं (दामोदर चापेकर और बाल कृषण चापेकर) ने पूना में बदनाम प्लेग अधिकारियों रेण्ड और आयर्स्ट की गोली मार कर हत्या कर दी। तिलक ने इस घटना को उचित ठहराया। अपने पत्र में इसे शिवाजी द्वारा अफ़जल खान की हत्या के समान बताया।
1917 में गठित रोलेट कमीशन ने इसे प्रथम राजनीतिक हत्या ठहराया।
1904 में नासिक (महाराष्ट्र ) में विनायक दामोदर सावरकर ने एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन "अभिनव भारत" का गठन किया। इसका उद्देस्य युवाओं को क्रांति के लिए जगाना था। अभिनव भारत का पुराना नाम मित्र मेला था जिसे 1899 में गठित किया गया था। अभिनव भारत ने अपने एक सदस्य पांडुरंग महादेव वापट को रूसी क्रांतिकारियों से बम बनाना सीखने के लिए पेरिस भेजा था।
नासिक षडयंत्र केस (1909): अभिनव भारत के एक सदस्य अनंत लक्ष्मण कनहरे ने नासिक के जिला मजिस्ट्रेट जेक्सन की हत्या कर दी। अनंत लक्ष्मण को गिरफ्तार कर लिया गया। ये अभिनव भारत के सदस्य थे इसलिए विनायक दामोदर सावरकर को लंदन से गिरफ्तार कर भारत लाया गया। कुल 37 सदस्यों पर नासिक षड्यंत्र केस चलाया गया। विनायक सावरकर और उनके भाई गणेश सावरकर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। विनायक सावरकर को काला पानी भेज दिया गया। जहाँ उनकी मृत्यु भी हो गई।
बंगाल की क्रांतिकारी घटनाएँ
बंगाल में क्रांतिकारियों का प्रथम गुप्त संगठन अनुशीलन समिति था। जिसे मिदनापुर में ज्ञानेंद्रनाथ बसु और कलकत्ता में पी मित्रा ने 1902 में गठन किया था।
बंगाल में क्रांतिकारी विचारधारा फैलाने का श्रेय भूपेंद्र नाथ दत्त और वरीन्द्र कुमार घोष को जाता है। इसके परिणाम स्वरूप अनेक क्रांतिकारी संगठनों का निर्माण हुआ।
माथमेन सिंह की सुदृड़ और साधना समिति, वारिसाल की स्वदेश बंधव समिति, फरीदपुर की बरती समिति।
अनुशीलन समिति के सदस्यों ने पत्र पत्रिकाओं का भी निकली -
जैसे 1. संध्या - ब्रह्म बांधव उपाध्याय, 2.वन्दे मातरम - अरविन्द घोष 3.युगांतर (1906) - भूपेन्द्र नाथ दत्, बरीन्द्र कुमार घोष ।
युगांतर में बेरीसाल में हुये लाठी चार्ज पर तीखी प्रतिक्रीया दी । इसमें लिखा गया "भारत की 30 करोड़ जनता अपने 60 करोड़ हाथों को उठा ले, उपनिवेशियों के दमन के लिए ताकत का मुकबाल ताकत से ही करना होगा।"
युगांतर के प्रमुख लेखों का संकलन "मुक्ति कोन पाथे" में है। इस पुस्तक में अँग्रेजी सेना में भर्ती भारतीय सैनिकों से क्रांतिकारियों को हतियार उपलब्ध काराने को कहा गया है।
बरीन्द्र कुमार घोष ने युगांतर नाम से एक क्रांतिकारी संगठन भी गठित किया। बरीन्द्र कुमार घोष ने दो पुस्तकें भी लिखी "वर्तमान रणनीति" व "भवानी मंदिर"।
अलीपुर षडयंत्र केस (1908)
युगांतर के सदस्य प्रफुल्ल चाकी और खुदी राम बोष ने 30 अप्रैल 1908 को बिहार में मुजफ्फर जिले के न्यायाधीश किंग्स फोर्ड की हत्या का प्रयास किया। उन्होने गाड़ी पर बम फेका पर वह बच गया और बम केनिडी की गाड़ी पर लगा। जिसमें सवार 2 महिलाओं की मृत्यु हो गई।
प्रफुल्ल कुमार चाकी ने अत्महत्या कर ली और खुदीराम बोष को फांसी की सजा हुई। यह सबसे कम उम्र के क्रांतिकारी थे जिनको फांसी की सजा हुई।
युगांतर के सदस्य हेम चन्द्र कानूनगो ने कलकत्ता के मानिकटोला उद्यान में बम बनाने का कारख़ाना खोला। पुलिस ने छापा मार कर 34 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया । जिनमें अरविंद घोष और बरीन्द्र कुमार घोष भी शामिल थे । सभी पर अलीपुर षडयंत्र केस चलाया गया ।
मुकदमे के दिनों में ही पुलिस डिप्टी सुप्रीटेंडेंट, सरकारी प्रोसिक्युटर और सरकारी गवाह नरेंद्र गोसाई को जेल में ही मार डाला। सभी को काला पानी की सजा दी गई। सबूतों के आभाव में अरविंद घोष को छोड़ दिया गया।
अरविंद घोष ने बाद में पाण्डेचेरी में ओरेविले आश्रम की स्थापना की।
क्रमश: ...............
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