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कांग्रेस की स्थापना से पूर्व के राजनीतिक संगठन Political organizations before the establishment of Congress

कांग्रेस की स्थापना से पूर्व के राजनीतिक संगठन 

भारतीय नेशनल कांग्रेस एजेंसी की स्थापना 1885 में ए ओ ह्यूम द्वारा सेफ्टी वाल्व के तौर पर की गई थी। वे एक अंग्रेज़ अधिकारी थे। उन्हें खबर लगी थी की भारत में व्यापक स्तर पर एक आंदोलन होने वाला है। इसलिए वह एक ऐसा मंच तैयार करना चाहते थे। जिसमें भारतीय अपने मन की भड़ास निकाल सकें, तथा अंग्रेजों को भारतीयों के मन के बात पता चले और वे शांति कायम रहे।
प्रारम्भ मे कांग्रेस शांत समूह के नेताओं का दल था, पर बाद में यह उग्र हो गया और पूरी देश की जनता को अपने साथ जोड़ लिया। 
पर कांग्रेस से पूर्व भी इस तरह की संस्थाएं बनी जिनके के माध्यम से भारतीयों ने अपने पक्ष को अंग्रेजी सरकार के समक्ष रखा और आंदोलन चलाए। 

बंगाल की राजनीतिक संस्थाएं 

बंगाल में राजनीतिक आंदोलन का आरंभ राजा राममोहन राय ने  किया गया।  उन्होंने अंग्रेजों का ध्यान भारतीय समस्याओं की ओर खींचा और जिसके परिणाम स्वरुप 1836 के चार्टर में अनेक उदारवादी धाराएं रखी गई इनके द्वारा मुख्य रूप से 
न्याय और प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ावा देने तथा समाचार पत्रों की स्वतंत्रता की मांग रखी
इस समय 1836 में हेनरी विलियम डीजेरियो ने  भारतीयों को राजनीतिक प्रेरणा देने के लिए समाचार पत्र ईस्ट इंडियन निकाला।

1836 में बंगाल में सबसे पहला राजनीतिक संगठन बना "बंगभाषा प्रकाशक सभा"। 
1838 में द्वारिका नाथ टैगोर ने जमींदारों के हितों की सुरक्षा के लिए "जमीनदारी एसोसिएशन" या "लैंड होल्डर्स एसोसिएशन" की स्थापना की। यह सबसे पहला संगठित राजनीतिक समूह था। 
1843 में बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी की स्थापना की गई। 
1851 मे "जमींदारी एसोसिएशन" और "बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी" का आपस में विलय हो गया और राधाकांत देव ने  नए ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की। इस संगठन द्वारा नील विद्रोह (1859) की जांच के लिए आयोग बैठाने की मांग की गई।  इस संगठन द्वारा "हिंदू पैट्रियाट समाचार" पत्र निकाला गया जिसका संपादन हरीश चंद्र मुखर्जी ने किया। 

1875 में शिशिर कुमार घोष द्वारा इंडियन लीग की स्थापना की गई। साथ ही इनके द्वारा जन जागृति के लिए अमृत बाजार पत्रिका का संपादन किया गया। 
1876 में सुरेंद्र नाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस द्वारा इंडियन एसोसिएशन की स्थापना की गई।  इस संगठन द्वारा मध्यम वर्ग  एवं साधारण जनता को भी अपने साथ जोड़ा गया। सुरेंद्र नाथ बनर्जी द्वारा "सिविल सर्विसेज आंदोलन" या "भारतीय जनपद आंदोलन" (1876) चलाया गया।  यह आंदोलन सिविल सर्विसेज में लार्ड लिटिन द्वारा आयु की योग्यता को 21 से घटाकर 19 वर्ष कर देने के विरोध में था।  इसके अतिरिक्त सुरेंद्रनाथ बनर्जी के नेतृत्व में इंडियन एसोसिएशन द्वारा शस्त्र अधिनियम (1878),  वर्नाकुलर प्रेस एक्ट (1878) के विरोध में आंदोलन चलाया गया।  1883 में सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने इल्बर्ट बिल (1883) के समर्थन में आंदोलन चलाया।  यह बिल लॉर्ड रिपन (1880 - 84) द्वारा लाया गया था।  इस आंदोलन के दौरान सुरेंद्र नाथ बनर्जी द्वारा कोलकाता हाईकोर्ट के जज जे एफ जोसफ  की समाचार पत्र बंगाली में कटु आलोचना की गई थी।  जिस कारण बनर्जी को 2 माह की सजा दी गई। 
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से पूर्व सुरेन्द्र नाथ बनर्जी द्वारा ही राष्ट्रीय स्तर पर जनसाधारण के साथ आंदोलन का प्रयास किया गया था। 
प्रथम नेशनल कोन्फ्रेंस 29 दिसंबर 1883 
दूसरी नेशनल कोन्फ्रेंस 25 दिसंबर 1885 

बंबई की राजनीतिक संस्थाएं 

बंबई एसोसिएशन 26 अगस्त 1852 को स्थापित हुई 
पूना सार्वजनिक सभा, महादेव गोविंद रानाडे ने 1867 ने स्थापित की 
बंबई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन  की स्थापना 1885 में सैय्यद बदरुदीन तैयब्बा जी, फिरोज शाह मेहता तथा के टी तैलंग ने की। 

मद्रास की राजनीतिक संस्थाएं 

मद्रास महाजन सभा का गठन 1884 में एम विरारागवाचारी, बी सुब्रमणयम आइयर और गोविंद चालू ने किया। 

लंदन में स्थापित संगठन

ईस्ट इंडिया एसोसिएशन, संस्थापक दादाभाई नरोजी, 1866 में  

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